Vijay Sharma, Journalist
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अपने चारों तरफ बिखरी संवेदनाओं को समेट कर उन्हें शब्दों से जोड़ता हूँ,कुछ अर्थ बनते हैं,कुछ भाव व्यक्त होते हैं,कुछ खुशी के तो कभी दर्द के, उल्लास, उत्सव, क्षोभ, विरक्ति, समय के चक्र में घुमते घुमते जिस पड़ाव पर पहुंचा वहाँ वैसी अभिव्यक्ति; बस यही सार है मेरा ... अपनी स्मृति के अंश आपके साथ बाँट सकूं यही प्रयास है मेरा ...